Sad shayri | attitute shayri | तू मेरी चाहत का एक लफ्ज भी ना पढ़ सका, और मैं तेरे दिये हुए दर्द की किताब पढ़ते पढ़ते ही सोती हूँ।

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 ऐसा नहीं है कि दुःख बढ़ गए है बल्कि सच्चाई यह है कि

लोगों में सहनशीलता कम हो गयी है।

 उनसे कहना की क़िस्मत पे ईतना नाज ना करे,
हमने बारिश में भी जलते हुए मकान देखें हैं !

 तू मेरी चाहत का एक लफ्ज भी ना पढ़ सका,
और मैं तेरे दिये हुए दर्द की किताब पढ़ते पढ़ते ही सोती हूँ।

मुस्कुराने से भी होता है ग़में-दिल बयां,
मुझे रोने की आदत हो ये ज़रूरी तो नहीं

इतना याद न आया करो, कि रात भर सो न सकें।
सुबह को सुर्ख आँखों का सबब पूछते हैं लोग।

अश्क बहकर भी कम नहीं होते,
कम से कम मेरी आँखें तो अमीर हैं।

मैं क्या जानूँ दर्द की कीमत ?
मेरे अपने मुझे मुफ्त में देते हैं !

दर्द कितना खुशनसीब है जिसे पा कर लोग अपनों को याद करते हैं,
दौलत कितनी बदनसीब है जिसे पा कर लोग अक्सर अपनों को भूल जाते है !

 मैं आईना हूँ टूटना मेरी फितरत है,
इसलिए पत्थरों से मुझे कोई गिला नहीं।

कितने सालों के इंतज़ार का सफर खाक हुआ ।
उसने जब पूछा “कहो कैसे आना हुआ”।

जो मिला मुसाफ़िर वो रास्ते बदल डाले,
दो क़दम पे थी मंज़िल फ़ासले बदल डाले ।

आसमाँ को छूने की कूवतें जो रखता था,
आज है वो बिखरा सा हौंसले बदल डाले ।

शान से मैं चलता था कोई शाह कि तरह,
आ गया हूँ दर दर पे क़ाफ़िले बदल डाले ।

फूल बनके वो हमको दे गया चुभन इतनी,
काँटों से है दोस्ती अब आसरे बदल डाले ।

इश्क़ ही ख़ुदा है सुन के थी आरज़ू आई,
ख़ूब तुम ख़ुदा निकले वाक़िये बदल डाले ।

गर शौक चढ़ा है इश्क़ का तो इम्तेहान देना तुम,
बारिश में भी मेरे अश्क़ों को पहचान लेना तुम।

वादो से बंधी जंजीर थी जो तोड दी मैँने,

अब से जल्दी सोया करेंगे ,मोहब्बत छोड दी मैँने।

नज़रअंदाज़ करने की सजा देनी थी तुमको !
तुम्हारे दिल में उतर जाना ज़रूरी हो गया था।


जिन्हें महसूस इंसानों के रंजो-गम नहीं होते,
वो इंसान भी हरगिज पत्थरों से कम नहीं होते।

महफ़िल में कई शायर है तो सुनाओ,
हमे वो शायरी जो दिल के आर पार हो जाये।

जिसका ये ऐलान है कि वो मज़े में है,
या तो वो फ़कीर है या फिर नशे में है।

इश्क न हुआ कोहरा हो जैसे,
तुम्हारे सिवा कुछ दिखता ही नहीं।

एक हसरत थी की कभी वो भी हमे मनाये,
पर ये कम्ब्खत दिल कभी उनसे रूठा ही नही।

अधूरा ही रह जाता है हर अल्फाज,
मेरी शायरी का तेरे अहसास की खुश्बू के बिना।

कभी मैं तो कभी ये बात बदल रही है,
कमबख्त नींद से मेरी लड़ाई चल रही है।

दिल अधूरी सी कहानियों का अंत ढूंढता रहा,
और वो कोरा पन्ना मुझे देर तक घूरता रहा।

टूटे हुए दिल भी धड़कते है उम्र भर,
चाहे किसी की याद में या फिर किसी फ़रियाद में।

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