रात के 12 बजे, एक खिड़की के पास खड़ी एक आत्मा, अंदर सो रहे व्यक्ति को घूर रही है। एक पुरानी, लकड़ी की खिड़की के शीशे का क्लोज-अप शॉट। बारिश उस पर पड़ रही है।भारी बारिश और दूर की गड़गड़ाहट की आवाज़।खिड़की के शीशे पर धीरे-धीरे धुंध छाने लगती है।धुंध छँट जाती है। एक औरत का चेहरा, पीला और भूतिया, शीशे पर चिपका हुआ दिखाई देता है। उसकी आँखें चौड़ी और काली हैं।औरत का चेहरा दर्द से विकृत हो जाता है। वह अपना हाथ शीशे पर मारती है, जिससे खून का एक निशान बन जाता है।औरत गायब हो जाती है, केवल शीशे पर खून का निशान छोड़ जाती है।फुसफुसाहटें तेज़, नज़दीक हो जाती हैं।कमरे के अंदर, एक आदमी शांति से सो रहा है।आदमी अपनी नींद में करवट बदलता है। उसकी आँखें खुलती हैं। आदमी खिड़की की ओर देखता है। खून का निशान अभी भी वहाँ है। (
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