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ईरान में भूकंप आने के बाद चर्चा है कि क्या ईरान ने न्यूक्लियर बम बना लिया है। भूकंप 5.5 की तीव्रता का था और इसकी जगह, जहाँ यह आया है, वह तेहरान से 110 किमी दूर है, जहां ईरान की न्यूक्लियर साइट्स स्थित हैं। भूकंप के कारण धरती हिलने से संकेत मिलता है कि संभवतः ईरान ने अपने न्यूक्लियर परीक्षण किए हैं। न्यूक्लियर टेस्ट करने के बाद, ईरान ने इससे जुड़ी स्थितियों पर ध्यान नहीं दिया और लोगों में आशंका है कि ईरान ने परीक्षण छिपा रखा है। 1945 के बाद से अमेरिका, सोवियत संघ, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन जैसे देशों ने न्यूक्लियर परीक्षण किए हैं, जबकि ईरान पर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए गए हैं। 2002 में यह जानकारी सामने आई कि ईरान अपने वादे से पलट गया है और न्यूक्लियर बम बनाने की दिशा में काम कर रहा है। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लागू किए, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई। यह सब ईरान के इतिहास से जुड़ा हुआ है, जिसमें 1979 का क्रांति और उसके बाद की घटनाएँ शामिल हैं। भविष्य में ईरान की रणनीतियों और वैश्विक प्रतिक्रिया का आकलन किया जाना जरूरी होगा।
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ईरान के पास बड़ा गैस और ऑयल रिजर्व होने के कारण अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने उस पर प्रतिबंध लगाया है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। 2015 में जेसीपीओए समझौते के तहत ईरान ने न्यूक्लियर प्रोग्राम को नियंत्रित करने के लिए सहमति दी, लेकिन बाद में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने समझौते से खींचते हुए सैंक्शंस वापस लगा दिए। इसके बाद, ईरान ने फिर से अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को बढ़ाना शुरू किया, जिससे उसकी संवेदनशीलता बढ़ गई।
इजराइल ने ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर विभिन्न हमले किए, और संवेदनशील वैज्ञानिकों को भी निशाना बनाया गया। ईरान की यूरेनियम संवर्धन दर 60% तक पहुंच गई, जिससे न्यूक्लियर बम बनाने की संभावना बढ़ गई। 2020 में जो बाइडन के सत्ता में आने के बाद नरम रवैया देखा गया, लेकिन फिर भी इजराइल के मुद्दे बढ़ते रहे। ईरान ने आपसी एनरजी में काफी बदलाव किया और अब वह न्यूक्लियर बम बनाने में गंभीरता से प्रयासरत है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान ने अपनी भौगोलिक स्थिति और स्थानीय राजनीति को देखते हुए एटम बॉम का निर्माण किया है, जिसका कोई अंतरराष्ट्रीय दबाव नहीं है। इसकी संभावित घोषणा कब होगी, इस पर कयास लगाए जा रहे हैं, जबकि हाल ही में आए भूकंप को इसके साथ जोड़कर देखा जा रहा है। इस समय ईरान की स्थिति और उसके न्यूक्लियर प्रोग्राम की दिशा को लेकर वैश्विक स्तर पर चर्चा हो रही है।