प्‍लास्टिक बोतल से मुक्ति! पानी पीकर खा सकेंगे यह बॉटल, 12 साल की लड़की की खोज चौंका देगी

Binod Sahu
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12 साल की लड़की ने गजब की खोज की है। उसने ऐसी बोतल बनाई है जिसे खाया जा सकता है। यानी पानी पीने के बाद बोतल का नामो-निशान मिट जाता है। यह ईको फ्रेंडली बॉटल प्‍लास्टिक बोतल से मुक्ति दिला सकती है। युवा साइंटिस्‍ट ने इस बॉटल को नाम दिया है ईको-हीरो।
नई दिल्‍ली: प्‍लास्टिक कचरा दुनियाभर के लिए बड़ी समस्‍या है। इसमें प्‍लास्टिक बॉटल्‍स का भी बड़ा कॉन्ट्रिब्‍यूशन है। विश्‍वभर में रोजाना करीब 1.3 अरब प्‍लास्टिक वॉटर बॉटल्‍स बिकती हैं। ये सिंगल यूज प्‍लास्टिक की होती हैं। इसमें से सिर्फ 9 फीसदी प्‍लास्टिक ही रीसाइकिल हो पाती है। बाकी समंदरों, नदियों और नालियों में जाती है। 12 साल की मैडिसन चेकेट्स (Madison Checketts) ने गौर किया कि इसके कारण समुद्री तट (बीच) गंदे हो रहे हैं। वह परिवार के साथ कैलिफोर्निया में ट्रिप पर गई थीं। यहीं पर उन्‍हें ख्‍याल आया कि स्थिति बदलने की जरूरत है। तभी उन्‍हें ऐसी बोतल बनाने का आइडिया आया जिसे पानी पीने के बाद खाया जा सकता (Edible water bottle) हो। वह अपने इस आइडिया को अंजाम तक पहुंचाने में दिलोजान से जुट गईं। उन्‍होंने इस बोतल को 'ईको-हीरो' नाम दिया। इस बोतल के कारण इस युवा साइंटिस्‍ट को खूब पहचान मिल रही है।


अमेरिका के उटा में स्‍कूल के साइंस फेयर के लिए मैडिसन ने प्रोजेक्‍ट पर काम करना शुरू किया। उन्‍हें लगा भला इससे बढ़‍िया क्‍या हो सकता है। शोध करते हुए उन्‍होंने 'रिवर्स स्‍फेयरिफिकेशन' प्रक्रिया के बारे में पढ़ा। इसमें तरल पदार्थ को जेल की झिल्‍ली (मेम्‍ब्रेन) में रखा जाता है। इसने उन्‍हें खाई जा सकने वाली पानी की बोतल बनाने का आइडिया दिया। मैडिसन ने इसे 'ईको-हीरो' नाम दिया।
ऐसे बनती है ईको-फ्रेंडली वॉटर बॉटल
मैडिसन ने पाया पानी, लेमन जूस, कैल्सियम लैक्‍टेट, जैनथन गम और सोडियम अल्गिनेट के कॉम्बिनेशन से जेल पाउच बनाया जा सकता है। यह पाउच टूटता नहीं है। इसमें तीन से 4 कप पानी बड़े आराम से आ जाता है। इसे फ्रिज में तीन हफ्तों तक रखा जा सकता है। इस प्रोजेक्‍ट ने जिला स्‍तर पर उन्‍हें मशहूर किया। फिर राज्‍य स्‍तर के साइंस मेले में इसे पहला स्‍थान हासिल हुआ। मैडिसन ने ब्रॉडकॉम मास्‍टर्स में 30 फाइनलिस्‍ट में भी जगह बनाई। यह नेशनल लेवल की प्रतिस्‍पर्धा है।
युवा साइंट‍िस्‍ट को म‍िला इनाम
इस युवा साइंटिस्‍ट का कहना है कि वह दुनिया की मदद करना चाहती हैं। यही उनके प्रोजेक्‍ट के पीछे प्रेरणा थी। वह 'ईको-हीरो' में और सुधार करना चाहती हैं। उनकी कोशिश है कि इसे किफायती बनाने के साथ इसकी कैपेसिटी को बढ़ाया जाए। उन्‍हें लगता है कि पानी का उनका पाउच पेपर कप को रिप्‍लेस करने का दमखम रखता है। इसे इस्‍तेमाल करना बहुत आसान है। झिल्‍ली को दांत से काटकर आपको छेद बनाना पड़ता है। फिर पानी पीकर आप इस पाउच को खा या फेंक सकते हैं। यह पाउच बायोडिग्रेडेबल है।

फाइनलिस्‍ट के तौर पर मैडिसन को इस कॉन्‍सेप्‍ट के लिए 500 डॉलर का इनाम मिला। कॉम्पिटिशन का टॉप प्राइज 14 साल के थॉमस एलडस को गया। थॉमस ने रोबोटिक हाथ बनाया था जिसे प्राकृतिक आपदा या खतरनाक स्थितियों में इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

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